ईशà¥à¤µà¤° को जानना और उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करना आवशà¥à¤¯à¤• कà¥à¤¯à¥‹à¤‚ है
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Manmohan Kumar AryaDate
23-Jan-2016Category
गीतLanguage
HindiTotal Views
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UmeshUpload Date
28-Jan-2016Download PDF
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हम सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤¯à¥‡à¤‚ हैं जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ ईशà¥à¤µà¤° की कृपा से मानव शरीर मिला है। जीवातà¥à¤®à¤¾ के दो पà¥à¤°à¤®à¥à¤– गà¥à¤£ है। पहला गà¥à¤£ इसका जà¥à¤žà¤¾à¤¨ की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ से यà¥à¤•à¥à¤¤ होना है और दूसरा अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ के अनà¥à¤°à¥‚प सतà¥à¤¯à¤¾à¤¸à¤¤à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤ रहना है। अतः जहां जà¥à¤žà¤¾à¤¨ व करà¥à¤® दोनों गà¥à¤£à¥‹à¤‚ की अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ हो वहां आतà¥à¤®à¤¾ की सतà¥à¤¤à¤¾ विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ होती है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® लेने से पूरà¥à¤µ हम à¤à¤• जीवातà¥à¤®à¤¾ थे और उससे पूरà¥à¤µ हम कहीं मनà¥à¤·à¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ अनेक योनियों में से किसी à¤à¤• योनि में जीवन वà¥à¤¯à¤¤à¥€à¤¤ कर रहे थे। वहां मृतà¥à¤¯à¥ होने तक हमने जो करà¥à¤® किये थे वा जिन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ का फल à¤à¥‹à¤—ना शेष था, उन पाप-पà¥à¤£à¥à¤¯ रूपी करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के आधार पर ईशà¥à¤µà¤° ने हमें हमारे वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ जीवन में मनà¥à¤·à¥à¤¯ जनà¥à¤® दिया है। इस मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन में हमें पूरà¥à¤µ जनà¥à¤® के किये हà¥à¤ अवशिषà¥à¤Ÿ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के फलों को à¤à¥‹à¤—ना à¤à¥€ है और अगले जनà¥à¤® के लिये नये करà¥à¤® à¤à¥€ संचित करने हैं। सà¥à¤–-दà¥à¤ƒà¤– à¤à¥‹à¤—ते व नये करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करते हà¥à¤ हमें अपने जà¥à¤žà¤¾à¤¨ में वृदà¥à¤§à¤¿ à¤à¥€ करनी है। जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दृशà¥à¤¯ व अदृशà¥à¤¯ सà¤à¥€ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का करना होता है। दृशà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ सृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त समसà¥à¤¤ à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥ आते हैं व अदृशà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में अनेक सूकà¥à¤·à¥à¤® à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ सहित मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से ईशà¥à¤µà¤° व जीवातà¥à¤®à¤¾ आते हैं। परमातà¥à¤®à¤¾ ने सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की आदि में ऋगà¥à¤µà¥‡à¤¦, यजà¥à¤°à¥à¤µà¥‡à¤¦, सामवेद व अथरà¥à¤µà¤µà¥‡à¤¦ इन चार वेदों का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ दिया है। यदि हम वेदों के वà¥à¤¯à¤¾à¤•à¤°à¤£ अषà¥à¤Ÿà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥€ महाà¤à¤¾à¤·à¥à¤¯ पदà¥à¤§à¤¤à¤¿ का अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ कर लें और वेदों के विदà¥à¤µà¤¾à¤¨ आचारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ की संगति करें तो हम वेदों में निहित अà¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• व à¤à¥Œà¤¤à¤¿à¤• अथवा परा व अपरा विदà¥à¤¯à¤¾à¤“ं का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ कर अपने मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवन को अधिक उपयोगी व लकà¥à¤·à¥à¤¯ के अनà¥à¤°à¥à¤ª कारà¥à¤¯à¤•à¥à¤·à¤® बना सकते हैं। आरà¥à¤· गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के हिनà¥à¤¦à¥€ à¤à¤¾à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को पढ़कर à¤à¥€ लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हà¥à¤† जा सकता है।
पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ है कि ईशà¥à¤µà¤° कà¥à¤¯à¤¾ है? इसका à¤à¤• उतà¥à¤¤à¤° यह है कि जिससे यह संसार बना है, जो इसका पालन कर रहा है तथा जिसने हमें व हमारी ही तरह अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को जनà¥à¤® दिया है, उसे परमातà¥à¤®à¤¾ कहते हैं। यहां धरà¥à¤® की दरà¥à¤¶à¤¨ शासà¥à¤¤à¥à¤° विहित परिà¤à¤¾à¤·à¤¾ à¤à¥€ देख लेते हैं जिसमें बताया गया है कि जिन करà¥à¤®à¥‹à¤‚ वा आचरण को करने से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ शारीरिक व सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ हो तथा मृतà¥à¤¯à¥ होने पर जनà¥à¤®-मरण से छूटकर निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ मोकà¥à¤· की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ हो उसे धरà¥à¤® कहते हैं। मनà¥à¤·à¥à¤¯ की शारीरिक व सामाजिक उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ कराने वाली सतà¥à¤¤à¤¾ का नाम ईशà¥à¤µà¤° है। ईशà¥à¤µà¤° ने जीवातà¥à¤®à¤¾à¤“ं को अतिशय सà¥à¤– देने वा दà¥à¤ƒà¤–ों की सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ निवृतà¥à¤¤à¤¿ करने के लिठही इस संसार को बनाया है। ईशà¥à¤µà¤° को जानने के लिठमहरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ ईशà¥à¤µà¤° का सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª विशेष लाà¤à¤•à¤¾à¤°à¥€ है। वह अपने लघà¥à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥ ‘सà¥à¤µà¤®à¤‚नà¥à¤¤à¤µà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¨à¥à¤¤à¤µà¥à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶’ व आरà¥à¤¯à¤¸à¤®à¤¾à¤œ के दूसरे नियम में बताते हैं कि ईशà¥à¤µà¤°, बà¥à¤°à¤¹à¥à¤® वा परमातà¥à¤®à¤¾ सचà¥à¤šà¤¿à¤¦à¤¾à¤¨à¤¨à¥à¤¦ लकà¥à¤·à¤£ यà¥à¤•à¥à¤¤ है। उसके गà¥à¤£, करà¥à¤® व सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पवितà¥à¤° हैं। वह सरà¥à¤µà¤œà¥à¤ž, निराकार, सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤•, सरà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€, अजर, अमर, अà¤à¤¯, नितà¥à¤¯, पवितà¥à¤°, अजनà¥à¤®à¤¾, अननà¥à¤¤, सरà¥à¤µà¤¶à¤•à¥à¤®à¤¿à¤¾à¤¨à¥, दयालà¥, नà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¤•à¤¾à¤°à¥€, सब सृषà¥à¤Ÿà¤¿ का करà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾, धरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾, हरà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¾ व सब जीवों को करà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¸à¤¾à¤° सतà¥à¤¯ नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ से फलदाता आदि लकà¥à¤·à¤£à¤¯à¥à¤•à¥à¤¤ है।
सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ कà¥à¤¯à¤¾ होती है यह à¤à¥€ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को जानना अà¤à¥€à¤·à¥à¤Ÿ है। सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ किसी पदारà¥à¤¥ या सतà¥à¤¤à¤¾ के गà¥à¤£ कीरà¥à¤¤à¤¨, गà¥à¤£à¥‹à¤‚ के शà¥à¤°à¤µà¤£ और सतà¥à¤¤à¤¾ के यथारà¥à¤¥ जà¥à¤žà¤¾à¤¨ को कहते हैं। ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ में ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का कीरà¥à¤¤à¤¨, ईशà¥à¤µà¤° के गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का शà¥à¤°à¤µà¤£ व ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥‚प का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ यह सà¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ में समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ हैं। ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने से उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥‡à¤® वा पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ होती है, यह ईशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ का फल है। सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ हम केवल ईशà¥à¤µà¤° की ही नहीं अपने माता-पिता, आचारà¥à¤¯, विदà¥à¤µà¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ व परोपकारी पà¥à¤°à¥‚ष यथा सचà¥à¤šà¥‡ साधॠव महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं आदि की à¤à¥€ किया ही करते हैं। इससे उनके पà¥à¤°à¤¤à¤¿ समà¥à¤®à¤¾à¤¨, पà¥à¤°à¥‡à¤® व पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है जिससे हम नानाविध लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ होते हैं। ईशà¥à¤µà¤° की सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने से à¤à¥€ ईशà¥à¤µà¤° के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¥€à¤¤à¤¿ होने से हम मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के सà¤à¥€ दà¥à¤°à¥à¤—à¥à¤£, दà¥à¤µà¥à¤°à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¨ और दà¥à¤ƒà¤– दूर होते हैं। à¤à¤¸à¤¾ इस कारण से होता है कि ईशà¥à¤µà¤° में यह दà¥à¤–, दà¥à¤µà¥à¤°à¥à¤¯à¤¸à¥à¤¨ और दà¥à¤ƒà¤–ों का लेश à¤à¥€ नहीं है। अतः सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ करने से ईशà¥à¤µà¤° के साथ हमारा समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§, आतà¥à¤®à¤¾ का परमातà¥à¤®à¤¾ से योग व समà¥à¤ªà¤°à¥à¤•, होता है जिससे हमारे बà¥à¤°à¥‡ गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ दूर होकर कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¤•à¤¾à¤°à¤• गà¥à¤£-करà¥à¤®-सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होते हैं। यदि हम ऋषि व योगियों के जीवन पर à¤à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿ डाले तो हमें जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि इन महातà¥à¤®à¤¾à¤“ं के जीवन में दà¥à¤—à¥à¤£à¥‹à¤‚ का सरà¥à¤µà¤¥à¤¾ अà¤à¤¾à¤µ तथा शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में समावेश होता है। ऋषि, योगी, सजà¥à¤œà¤¨ अथवा आरà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ गà¥à¤£à¥‹à¤‚ को धारण किये हà¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को ही कहते हैं। अतः सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ अपने से शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ व सबसे शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ व शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ तम ईशà¥à¤µà¤° की करनी चाहिये जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¤à¥€ दà¥à¤ƒà¤– दूर होकर जà¥à¤žà¤¾à¤¨, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ सहित सà¥à¤–ों की वृदà¥à¤§à¤¿ हो। यह ईशà¥à¤µà¤° सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ सà¥à¤–ों की वृदà¥à¤§à¤¿ करने सहित à¤à¤• à¤à¤¸à¤¾ करà¥à¤® वा कारà¥à¤¯ है जिससे मनà¥à¤·à¥à¤¯ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ के बनà¥à¤§à¤¨à¥‹à¤‚ से मà¥à¤•à¥à¤¤ होकर उनà¥à¤¨à¤¤à¤¿ करता हà¥à¤† मोकà¥à¤· की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हो सकता है। महरà¥à¤·à¤¿ दयाननà¥à¤¦ जी ने चारों वेदों से चयन कर आठमनà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ को सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾-उपासनारà¥à¤¥ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ किया है जो इस विषय के शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ मनà¥à¤¤à¥à¤° है जिनका पाठकरने से कालानà¥à¤¤à¤° में दà¥à¤ƒà¤–ों की निवृतà¥à¤¤à¤¿ होकर सà¥à¤–ों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ समà¥à¤à¤µ है।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ करà¥à¤® करने में सà¥à¤µà¤¤à¤¨à¥à¤¤à¥à¤° है तथा फल à¤à¥‹à¤—ने में ईशà¥à¤µà¤° की वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ में परतनà¥à¤¤à¥à¤° है। यदि हम ईशà¥à¤µà¤° को नहीं जानेंगे और उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿-पà¥à¤°à¤¾à¤°à¥à¤¥à¤¨à¤¾ वैदिक योगविधि से नहीं करेंगे तो हममें लोà¤, मोह व राग, इचà¥à¤›à¤¾, दà¥à¤µà¥‡à¤·, काम, कà¥à¤°à¥‹à¤§, अहंकार आदि हमारे ही अनà¥à¤¦à¤° हमारे मà¥à¤–à¥à¤¯ शतà¥à¤°à¥ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होंगे जो हमारा जीवन नषà¥à¤Ÿ कर देंगे जिसका परिणाम इस जीवन में अवनति होने से जनà¥à¤® जनà¥à¤®à¤¾à¤¨à¥à¤¤à¤° में दà¥à¤ƒà¤–ों की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ ही होगा। अतः दà¥à¤ƒà¤– के निवारणारà¥à¤¥ सà¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सदà¥à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹à¤‚ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ का सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ बनाना चाहिये जिससे सतà¥à¤¯ व असतà¥à¤¯ का विवेक करने में सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ होती है। निरनà¥à¤¤à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ से मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ बढ़ता जाता है। मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ योग व उपासना के महतà¥à¤µ को जानकर इनका अà¤à¥à¤¯à¤¾à¤¸ करता है और शà¥à¤ करà¥à¤®à¥‹à¤‚ को करके जीवन के लकà¥à¤·à¥à¤¯ अà¤à¥à¤¯à¥à¤¦à¤¯ व निःशà¥à¤°à¥‡à¤¯à¤¸ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करता है। हमने यह कà¥à¤› बातें आरà¥à¤· गà¥à¤°à¤¨à¥à¤¥à¥‹ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ सतà¥à¤¯à¤¾à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶ के सà¥à¤µà¤¾à¤§à¥à¤¯à¤¾à¤¯ के आधार पर लिखी हैं। जो पाठक ईशà¥à¤µà¤° के सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª व उसकी सà¥à¤¤à¥à¤¤à¤¿ के महतà¥à¤µ से अनà¤à¤¿à¤œà¥à¤ž हैं, वह व अनà¥à¤¯ सà¤à¥€ इस संकà¥à¤·à¤¿à¤ªà¥à¤¤ लेख से लाà¤à¤¾à¤¨à¥à¤µà¤¿à¤¤ हो सकते हैं।
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